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क्या संविधान में खामी में है, न्यायालीन प्रक्रिया पर भरोसा नहीं... आखिर क्यों दिया जा रहा प्रोटेक्टशन एक्ट संजय साहू पत्रकार भारत के संविधान निर्माताओं ने जब संविधान की रचना की थी उस समय संविधान रूपी इस ग्रंथ को विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान माना गया था। समय बीतता गया, इसमें जितनी भी सरकारें आर्इं अपनी मनमर्जी के मुताबिक संसोधन करती रहीं। हालात यह है कि संविधान के अनुरूप अब हमारा न तो आचरण रह गया है और न ही उसके अनुसार हम चल पा रहे हैं। इसका वास्तविक कारण क्या है किसी की समझ में नहीं आ रहा है। आ रहा है तो सिर्फ राजनेताओं को जो अपने फायदे के लिये और वोटों की खातिर परिवर्तन करते रहते हैं। पहले अनुसूचित जाति/ जनजाति के अलग से एससी/एसटी एक्ट बनाया गया। उसके बाद सरकारी कर्मचारियों के लिये अलग आचार संहिता, फिर डॉक्टरों के लिये प्रोटेक्टशन एक्ट अब वकीलों के लिये प्रोटेक्टशन एक्ट की व्यवस्था दी जा रही है। इन व्यवस्थाओं से आम जनता के मन में एक सवाल उठने लगा है, कि क्या भारत के संविधान व न्यायालय में इनको भरोसा नहीं है। अगर नहीं तो फिर क्यों आम जनता के लिये इस प्रकार के कानून बनाये गये है
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यह वोट बैंक की राजनीति और भारत का भविष्य क्यों गर्त में धकेल रहे हैं देश को नेता संजय साहू पत्रकार हम आजादी की 72 वी सालगिरह मनाने जा रहे हैं। बीते 72 साल में भारत ने बहुत तरक्की की है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में आज हम नंबर वन बनने की दौड़ में शामिल है। परंतु इसके बावजूद भारत की 125 करोड़ जनता को आजादी का स्वरूप नजर नहीं आया है, जिसे देखने के लिए आजादी की लड़ाई में हमारे क्रांतिकारियों ने अपनी आहुति दी थी। संविधान के निमार्ताओं ने भारत को अति पिछड़े क्षेत्र में रहने वाले दलित आदिवासियों के लिए 10 वर्ष का आरक्षण दिया था इसमें यह शर्त रखी गई थी की अगर 10 वर्षों के पश्चात भी उनका पिछड़ापन गरीबी दूर नहीं होती तो नए सिरे से आरक्षण पर व्याख्या कर नया संशोधन लागू किया जा सकता है। किंतु वोट बैंक की राजनीति में राजनीतिक दलों को इतना पंगु बना दिया है कि आज वह आरक्षण पूरे देश की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ करने लगा है। वर्तमान में देश के प्रत्येक व्यक्ति को आरक्षण का लाभ चाहिए फिर वह क्रीमी लेयर हो, अति पिछड़ा, पिछड़ा, या दलित-आदिवासी के साथ सामान्य श्रेणी का व्यक्ति हो। ये सब आरक्षण को लेकर अपने आप को सु
आर्थिक आरक्षण से होगी भारत की प्रगति  संविधान दिवस विशेष भारत के संविधान को बने 68 वर्ष हो गये हैं इस संविधान पर्व की पंरपरा को हम हर वर्ष नये भारत निर्माण के रूप में मनाते चले आ रहे हैं। इन 68 वर्षों में भारत के किसी भी व्यक्ति को सबसे ज्यादा आहत किया है, तो वह है जातिवाद का आरक्षण जिसके कारण भारत का युवा अपने आप को ठगा महसूस कर विदेशों की ओर पलायन करने मजबूर हो गया है। इस आरक्षण को बाबा साहब अंबेडकर जी 10 वर्षों के लिये लागू किया था। कारण था देश की प्रगति में उन दबे-कुचले लोगों को शामिल करना जिनको लोग छुआ-छूत की भावना के साथ दलित वर्ग का होने के कारण हीन भावना से देखते हैं। यह 10 वर्ष की गाथा को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हुये राजनैतिक दलों ने 68 वर्ष बिता दिये इसके बाबजूद इसका कोई खास प्रभाव देखने नहीं मिल रहा है। गरीब दलित, आदिवासियों को उनको मिलने वाली सुविधाओं का लाभ संपन्न आदिवासी व दलित लोग उठा रहे हैं। यही कारण है कि आज भी आरक्षण का जो पैमाना दिया गया था वह जहां का तहां नजर आ रहा है। आज हम भारत के संविधान निर्माण दिवस की 69 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। संविधान ने
कौन सी दीमक लगी है कांग्रेस को खत्म करने... .पुराने नेताओं की कार्यप्रणाली पर उठने लगे सवाल .30 साल से सत्ता से बाहर है शहर में कांग्रेस .आखिर क्यों इस सवाल का जबाव नहीं है किसी के पास  जबलपुर। एक समय था जब कांग्रेस का पूरा देश में सम्राज्य था। काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक कांग्रेस का तिरंगा लहरा रहा था। समय बीतता गया और ये बात पुरानी होती गई। वर्तमान हालात यह है कि जिन गिन-चुने राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, उसे बचाने के लिये भी जद्दोजहद हो रही है। इसका मूल कारण क्या है, इस पर कोई नेता बात नहीं करना चाहता। जबकि कांग्रेस जहां से हारती है वहां निरंतर हारती ही चली जाती है फिर जबलपुर की ही बात क्यों न हो। यहां भी कांग्रेस विगत 30 वर्ष से नहीं है। यहां पर वर्ष 1996 के बाद से लगातार भारतीय जनता पार्टी का लोकसभा में कब्जा बना हुआ है। इसी बीच 5 चुनाव हो चुके हैं, लगभग यही हालात विधानसभा क्षेत्रों के बने हुये हैं। गौरतलब हो कि जबलपुर विधानसभा की चारों सीट पर बीते 30 वर्षों लगातार भारतीय जनता पार्टी जीतती चली है, इसमें पश्चिम और पूर्व विधानसभा के साथ एक बार उत्तर विधानसभा में बदलाव
आरक्षण की आग से खोखला होता देश.... संजय साहू  जबलपुर मो. 9407320905 हम आजादी की 68 वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं, इन 68 सालों में हमारे देश ने अनेक प्रकार की विपदायें झेली हैं। इन विपदाओं के बाद भी आज हम मजबूती से खड़े तो दिखाई दे रहे हैं किन्तु वास्तविकता पर गौर करें तो यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आज भी हम मानसिक गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुये हैं। दुनिया जहां 21 वीं सदी को पार करने में सक्षम हो रही है, उस स्थिति में सरकार लाख दावे करे कि हमारा देश विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है, लेकिन वास्तविकता क्या है ये बात हम सभी जानते हैं कि, हम आज भी 19 सदी में ही जी रहे हैं। जिसमें कुपोषण है, बेरोजगारी है, भुखमरी है, गरीब और गरीब होता जा रहा है और अमीर और अमीर। आज भी देश का युवा बेरोजगारी के दलदल में फंसा हुआ है, किसान आत्महत्या करने बेबस है, आंतकवाद अपनी पराकाष्ठïा को पार करने में तुला हुआ है। कर्ज पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है, सर्व सुविधा सम्पन्न होने के पश्चात भी हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही है।  हमारा समाज पैसों की हवस में इतना अंधा होता जा रहा है कि उसे अब

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मंदिरों की संपत्ति से हो सकता देश कर्ज मुक्त संजय साहू जबलपुर प्राचीन समय से भारत जैसे विशाल देश में भगवान के प्रति गहरी श्रद्धा रही है, मान्यताओं के अनुसार आदमी अपने स्वभाव अनुरू मनोकामना पूर्ण होने पर भगवान को कोई न कोई भेंट अर्पण करता है और यही कारण है कि देश के अनेक मंदिर ऐसे हैं जहां बेहिसाब संपत्ति रखी हुई, इस संपत्ति का न तो कोई उपयोग हो रहा है और न ही वह किसी आदमी या संस्था के काम आ रही है, अरबों खरबों रूपये की इस संपत्ति पर सरकार का भी कोई नियंत्रण नहीं है। आज हमारी अर्थ व्यवस्था विश्व की अर्थ व्यवस्था से थोड़ी भिन्न होने के साथ विश्व की सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था में शुमार है लेकिन सत्ता लोलुप नेताओं ने इस समाज को ही नहीं वरन् भारत की वर्जनाओं को भी तोड़ा है, उसी का परिणाम है कि आज देश के ऊपर अरबों रूपये का कर्ज लदा हुआ है, प्रत्येक व्यक्ति देश को इस कर्ज से मुक्त तो होना देखना चाहता है लेकिन खुद का कोई योगदान इसमें नहीं करता और सरकार से आशा लगाये रहता है, कि वह ही इस देश को कर्ज मुक्त करे, जबकि वोटों की भूखी सरकार को इससे कोई सरोकार नहीं है कि कभी सोने की चिडिय़ा कहा जाने
32 कांग्रेसी विधायकों को नहीं मिल रहा अपने नेता का समय   5 माह से राहुल गांधी के कार्यालय में लगी अर्जी जबलपुर। देश के प्रधानमंत्री बनने के पूर्व नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया कांग्रेस मुुक्त भारत का नारा लगभग साकार होता नजर आ रहा है। वर्तमान में जितने भी कांग्रेसी नेताओं, विधायकों एवं सांसदों ने पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरी राजनैतिक पार्टियों का दामन संभाला है, इसके पीछे सिर्फ एक ही वजह बताई जा रही है। लगभग 90 फीसदी कांग्रेस छोड़कर गये नेताओं ने कहा कि उनके राष्टÑीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी जिनके हाथों में कांग्रेस की कमान है, वह अपने ही कार्यकर्ताओं और नेताओं को मिलने का समय नहीं दे पाते जिससे पार्टी आज रसातल की ओर जा रही है। कमोवेश ऐंसी ही स्थिति इन दिनों मध्यप्रदेश में दिखाई दे रही है। जहां कांग्रेस पार्टी के लगभग 32 विधायकों ने विगत 5 माह से राहुल गांधी के कार्यालय में उनसे मिलने की अर्जी लगा रखी है, लेकिन अभी तक उनको समय नहीं मिल पाया है। जिससे विधायकों में आक्रोश नजर आ रहा है। इन विधायकों  में महाकौशल क्षेत्र के कुछ कांग्रेसी विधायक भी शामिल हैं। गौरतलब हो कि मप्र में विधानसभा